एंटीमैटर: इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर खोज से हिल गई थी फिजिक्स की दुनिया, अब हुआ चौंकाने वाला खुलासा
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एंटीमैटर: इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर खोज से हिल गई थी फिजिक्स की दुनिया, अब हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Antimatter On ISS: आज से करीब आठ साल पहले, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर एंटीमैटर कणों की मौजूदगी का पता चला था. नई रिसर्च बताती है कि ये कण शायद अज्ञात भौतिकी का सबूत हो सकते हैं.

एंटीमैटर: इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर खोज से हिल गई थी फिजिक्स की दुनिया, अब हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Antimatter On International Space Station: एक नई स्टडी में एंटीमैटर कणों को लेकर चौंकाने वाला दावा किया गया है. इसके मुताबिक, एंटीमैटर पार्टिकल्स शायद अज्ञात फिजिक्स का सबूत हो सकते हैं. ये कण लगभग 8 साल पहले इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर मिले थे. ये सभी हीलियम न्यूक्लियाई के एंटीमैटर वर्जन हैं और शायद कॉस्मिक फायरबॉल्स से बने हों. हालांकि, ये फायरबॉल्स कैसे बने, यह फिजिक्स के स्टैंडर्ड मॉडल के जरिए समझाना मुश्किल है.

एंटीमैटर क्या है?

सभी मूलभूत कणों के प्रतिकण (एंटीपार्टिकल्स) भी होते हैं जिन पर विपरीत विद्युत आवेश होता है. ये संपर्क में आते ही एक-दूसरे को नष्ट कर देते हैं. सैद्धांतिक रूप से, ब्रह्मांड का आधा पदार्थ एंटीमैटर होना चाहिए लेकिन इसका मतलब यह होगा कि बिग बैंग के तुरंत बाद ही ब्रह्माण्ड नष्ट हो गया होता. लेकिन ब्रह्माण्ड में एंटीमैटर दुर्लभ और क्षणभंगुर है.

पार्टिकल एक्सीलेरेटर्स में प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन्स की टक्कर से एंटीपार्टिकल्स बनाए जा सकते हैं. अंतरिक्ष में भी सुपरनोवा जैसे धमाकों से एंटीमैटर कण निकलते हैं. ये आमतौर पर केवल सिंगल एंटीपार्टिकल जैसे पॉजिट्रॉन (एंटीइलेक्ट्रॉन) और एंटीप्रोटॉन पैदा करते हैं.

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ISS पर मिले थे एंटीमैटर पार्टिकल्स

करीब आठ साल पहले, ISS पर लगे अल्फा मैग्नेटिक स्पेक्ट्रोमीटर (AMS-02) ने करीब 10 एंटी हीलियम नाभिक का पता लगाया. इन नाभिकों में दो एंटी प्रोटॉन और एक या दो एंटीन्यूट्रॉन (क्रमशः एंटीहीलियम-3 और एंटीहीलियम-4 वर्जन के लिए) मौजूद थे. अगर आगे की रिसर्च से इनकी पुष्टि हुई तो यह खोज पार्टिकल फिजिक्स के स्टैंडर्ड मॉडल को चुनौती देगी.

विज्ञान की समझ को चुनौती

LiveScience से स्टडी के सह-लेखक माइकल ए. फेडरके से बात की. उन्होंने बताया कि स्टैंडर्ड मॉडल कहता है कि एंटीहीलियम-4 को बनाने के लिए यह जरूरी है कि कम से कम तीन या चार एंटीप्रोटॉन्स और एंटीन्यूटॉन एक-दूसरे के काफी करीब हों और इतनी धीमी गति से चल रहे हों कि वे एक साथ चिपक जाएं. इन जरूरतों के आधार पर, प्रत्येक 10,000 एंटीहीलियम-3 के लिए एक एंटीहीलियम-4 का उत्पादन किया जाएगा.

फेडरके ने कहा, 'AMS-02 घटनाओं के बारे में दिलचस्प बात यह है कि डेटा हर दो से तीन एंटीहीलियम-3 घटनाओं के लिए एक एंटीहीलियम-4 घटना के अनुरूप मालूम होता है.' यह स्टैंडर्ड मॉडल की भविष्‍यवाणी से कहीं ज्यादा है.

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नई रिसर्च ने हमें क्या बताया?

Physical Review D जर्नल में छपी स्टडी में, वैज्ञानिकों की टीम ने 'फायरबॉल्स' नामक काल्पनिक वस्तुओं का इस्तेमाल कर इस विसंगति को समझाने की कोशिश की. ये फायरबॉल्स उन घटनाओं से बन सकते हैं जिन्हें अब तक देखा नहीं गया है. उदाहरण के तौर पर, डार्क मैटर की दो बड़ी मात्राओं की टक्कर से. डार्क मैटर एक रहस्यमयी चीज है जो हमारे ब्रह्मांड का करीब 80 पदार्थ है लेकिन यह प्रकाश से प्रतिक्रिय नहीं करता, इसलिए देखा नहीं जा सकता.

स्टडी के सह-लेखक अनुभव माथुर ने LiveScience को बताया कि 'एक बार बनने के बाद, यह (फायरबॉल) यह प्रकाश की गति के करीब फैलता है, जिससे आस-पास के वातावरण में एंटीप्रोटॉन, एंटीन्यूट्रॉन और एंटीहीलियम निकलते हैं. एंटीन्यूक्लिआई बाद में बाहर की ओर यात्रा करते हैं, और उनमें से कुछ पृथ्वी तक पहुंचते हैं जहां उनका पता लगाया जा सकता है.

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रिसर्चर्स ने अलग-अलग आकार और व्यवहार वाले फायरबॉल्स का मॉडल तैयार किया. पता चला कि अगर फायरबॉल बड़े हों तो तो उनके द्वारा बने एंटीहीलियम नाभिक की मात्रा ISS पर मिले शुरुआती नतीजों से अच्छी तरह मेल खाती है. हालांकि, ये बेहद शुरुआती नतीजे हैं और इस बारे में काफी रिसर्च की जरूरत है.

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